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across the mountain

first day was very exciting.....we planned to travel from kolang to leh on motorbikes...the very idea of this adventurous trip was exciting us..idea came to me. ..on one fine sunday sipping hot tea at ga tashi's dhaba ..we have a small but dependable group of friends for such ideas to emerge freely.our group is not bound by common age factor but by common interest.so..proposal was immediatly voted upon and passed.dates were fixed...a couple of liquor meetings to check the preparations ..and we were ready.i had this desire to travel to ladakh and spiti since the time i was appointed here ...two great places to visit being a lahuli and a buddhist.so ....one of my dream was coming true.there is some "thing" about these places that seems attractive to me..a mystic attraction.so my idea of this journey is not that of a tourist..visiting a new place with amusement and wonder,i wanted to discover myself...the source of my mystic attraction,a desperate attempt of an uprooted budd
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लिखने को बहुत कुछ बचा होगा....

  सारे युद्ध कहां लिखे गए अभी  ? राख के ढेर पर बेशक  नर्म घास उग आई हो , थोड़ा गहरा सा खोद के देखें हड्डियां और बारूद सड़ा नहीं होगा।  सब महामारियाँ खत्म कहां हुई अभी ? बाहर से हम बीमार नहीं दिखते बस।  किसी अंधेरे मैले कोने में  बहुत से अनाम विषाणु  अथक प्रतिरूप बना रहे होंगे।  चीखें गूंज रही थी  स्याह घने कोहरे के आर पार अभी बेशक हल्की रोशनी हुई है धुंधला सा दिखने लगा है आसमान। सिर्फ वक्त का फर्क है शायद या कुछ स्याहियां सूखने का इंतजार  शब्दों के बीचोंबीच भी बहुत कुछ लिखा गया है  जो अभी पढ़ा जाना बाकी है ।

SINGLE LENS REFLEX

sometime the moments you capture with your  eyes, remain imprinted in your memory forever.... till your last breath. if we can replace your memory with your hard drive.... then the lens of your camera becomes your eyes. And truly..... some moments are imprinted forever. presenting some of such memorable moments of my life...... there are places where earth and sky meet , they always make mesmerizing  scenes .  a moment  near kunzum La  in Spiti (Himachal Pradesh ) What if we can wrap the nature around us. mountains are the beginning and end of all natural scenary. A road leading to a hill is a good road, its filled with joy and enthusiasm.  its better to live in a mountain then to live forever. I studied Biology as my major subject . in my course I read a quote that fascinated me. All life is bottled sunshine.At that time  I didn't understood the exact meaning. 

भीडतंत्र से लोकतंत्र

पिछले दिनों जो घटना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लगी, वह थी बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम। नीतीश कुमार फिर से जीत गये। वह भी अस्सी प्रतिशत के भारी बहुमत के साथ । यानी जनता ने लगभग एकतरफा मतदान किया..वह भी सीधे सीधे एक ही एजेंड को लेकर..विकास । जनता ने सरकार के किए गये कार्यो को सराहा और अगले पांच बर्षो के लिए जनादेश दिया। परिणाम सुखद था । पर आश्चर्य भी हुआ। बिहार जैसे राज्य में विकास पर मतदान ? तो जातिगत समीकरणों का क्या हुआ ?दबंगों और पिछडों ने पिछले सारे मुद्दे भुला दिए क्या ? सभी को एक ही विकास पुरुष नज़र आ रहा है। बिहार अपने अतीत की कालिख को झाडता हुआ उठता प्रतीत हो रहा है। आगे बढना चाहता है। भारत के लोकतंत्र पर कुछ प्रश्न यहां खडे होते हैं। साथ ही साथ कुछ नये उत्तर भी मिल जाते हैं। कुछ प्रश्न तब भी खडे हुए थे जब इस विशाल बदहाल देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था पहली बार लागू हुई थी। बहुत कम लोगों को इसकी सफलता पर यकीन था। जानकारों का मानना था कि ये व्यवस्था भारत जैसे देश के लिए उचित नहीं है। यदि ये लागू भी होती है तो इसका दायरा बहुत सीमित होना चा

जूनून

कुछ चीज़ें हैं ....जो हम हर रोज़ देखते हैं, अपने चारों तरफ ..गलत चीजें । जो नहीं होनी चाहिए थी। अजीब बात ये है की हम इतने आदी हो चुके हैं इस तरह से जीने के...कि react करना भूल चुके हैं। ये भी एक ऐसी ही आम बात है. उस सांवले लड़के से मैं क्या कहता उसे ठीक से अपने गाँव का नाम याद नहीं था या शायद 'नाम' उसके लिए खास मायने नहीं रखते थे या शायद बहुत पहले और बहुत बेरहमी से अलग कर दिया गया था उसका हर वास्ता उसके गाँव से। हम दोनों ही साथ साथ खोद रहे थे उस ज़मीन को तेज़ बारिश के बाद की उस तेज़ धूप में जब मिटटी ज्यादा नरम होकर फिर से ज्यादा सख्त होती है हम दोनों ही पसीने से तरबतर पर जैसे जूनून था मिटटी को चीरने का पर शायद बहुत अलग अलग थी दोनों के जूनून की वजहें मेरी यह की वो ज़मीन मेरी थी और उसकी यह की उसकी ज़मीन शायद कभी कहीं रही ही नहीं।

रोहतांग खुल गया..!!

अभी जाग जाओ रोहतांग छोड़ दो आलस अपनी सफ़ेद चादर से निकलो बहुत हुई, लम्बी शीत निद्रा अगले चंद दिनों में न जाने कितने लोग चढ़ आयेंगे तेरी चोटियों तक तेरी सफ़ेद चादर को एक अजूबे की तरह ताकते कुचल डालेंगे फिर उसी को खुशी और उल्लास में समय से पहले छीन लेंगे तुमसे मैली कर देंगे अपने जूतों में चिपकी मैदानों कि धूल से डरा के रख देंगे अपने शोर और हजारों होर्स पॉवर से साथ ले आयेंगे अपनी मुश्किलें गंदगी , दुःख, बैचैनी और जाने क्या क्या रोंदते हुए गुज़र जायेंगे न जाने कहाँ कहाँ अभी वक्त है उठ बैठो मना कर दो किसी की सैरगाह बनने से इतने जोर से दहाडो कि हिमयुग फिर से लौट आए बस... 'उस' आदमी को मत रोकना जो सदियों से तुमसे होता हुआ अपने घर जाता है

मेरे गाँव की कहानियां

छोटी सी बात थी। मैल ढोते हुए घोड़े ने अनजाने में बिजली के पोल को धक्का दे दिया था। और पोल भी ऐसा, की इस झटके से पूरी तरह हिल गया। तारें आपस में लिपट गयी । और फ्यूज़ उड़ गया। शाम होने को थी। हल्का हल्का अँधेरा भी छा रहा था। मेरे शांत गाँव में अचानक कुछ गलत हो गया था। शाम होते होते आजकल सड़कें सुनसान हो जाती हैं। कुछ पर आई पी एल का भूत सवार है तो कोई ताश छोलो का शौक़ीन । सड़क पर बतियाने का वक़्त आजकल किसी के पास नहीं है। पर आज गलत वक़्त पर बिजली गुल हो गयी थी। धीरे धीरे गाँव के लोग बाहर निकलने लगे। सड़क पर गहमा गहमी बढ़ गयी । लोग नाराज़ लग रहे थे। ऐसा लग रहा था कि बड़े दिनों बाद किसी मुद्दे पर लोग एक राय हो रहे थे। बेवक्त बिजली का जाना, अधूरे मैच का जाने क्या हुआ होगा, आज लोग एक दुसरे से बातें कर रहे थे। फिर कोई खबर लाया कि गाँव के दुसरे हिस्से में पोल के साथ हादसा हो गया है।झटपट लाइन मैन को फ़ोन मिलाया गया।