कुछ चीज़ें हैं ....जो हम हर रोज़ देखते हैं, अपने चारों तरफ ..गलत चीजें । जो नहीं होनी चाहिए थी। अजीब बात ये है की हम इतने आदी हो चुके हैं इस तरह से जीने के...कि react करना भूल चुके हैं। ये भी एक ऐसी ही आम बात है. उस सांवले लड़के से मैं क्या कहता उसे ठीक से अपने गाँव का नाम याद नहीं था या शायद 'नाम' उसके लिए खास मायने नहीं रखते थे या शायद बहुत पहले और बहुत बेरहमी से अलग कर दिया गया था उसका हर वास्ता उसके गाँव से। हम दोनों ही साथ साथ खोद रहे थे उस ज़मीन को तेज़ बारिश के बाद की उस तेज़ धूप में जब मिटटी ज्यादा नरम होकर फिर से ज्यादा सख्त होती है हम दोनों ही पसीने से तरबतर पर जैसे जूनून था मिटटी को चीरने का पर शायद बहुत अलग अलग थी दोनों के जूनून की वजहें मेरी यह की वो ज़मीन मेरी थी और उसकी यह की उसकी ज़मीन शायद कभी कहीं रही ही नहीं।
memoirs of a native