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मेरे गाँव की कहानियां


छोटी सी बात थी। मैल ढोते हुए घोड़े ने अनजाने में बिजली के पोल को धक्का दे दिया था। और पोल भी ऐसा, की इस झटके से पूरी तरह हिल गया। तारें आपस में लिपट गयी । और फ्यूज़ उड़ गया।
शाम होने को थी। हल्का हल्का अँधेरा भी छा रहा था। मेरे शांत गाँव में अचानक कुछ गलत हो गया था। शाम होते होते आजकल सड़कें सुनसान हो जाती हैं। कुछ पर आई पी एल का भूत सवार है तो कोई ताश छोलो का शौक़ीन । सड़क पर बतियाने का वक़्त आजकल किसी के पास नहीं है। पर आज गलत वक़्त पर बिजली गुल हो गयी थी।
धीरे धीरे गाँव के लोग बाहर निकलने लगे। सड़क पर गहमा गहमी बढ़ गयी । लोग नाराज़ लग रहे थे। ऐसा लग रहा था कि बड़े दिनों बाद किसी मुद्दे पर लोग एक राय हो रहे थे। बेवक्त बिजली का जाना, अधूरे मैच का जाने क्या हुआ होगा, आज लोग एक दुसरे से बातें कर रहे थे।
फिर कोई खबर लाया कि गाँव के दुसरे हिस्से में पोल के साथ हादसा हो गया है।झटपट लाइन मैन को फ़ोन मिलाया गया। लाइन मैन भी लोकल आदमी था। पता चला ,श्रीमान पडोसी गाँव में हैं। वहां गोंपा में पूजा हो रही है, और वो लुगड़ी के नशे में है।
अब लोगों कि चिंता और बढ़ गयी थी। अँधेरा पूरी तरह छा रहा था। छोलो क्लब से भी लोग बडबडाते हुए निकल रहे थे . अभी तक जो बड़ी कोशिश से अन्दर बैठ कर राजा और रानी को देख रहे थे पूरा अँधेरा होने से वो भी मजबूर हो कर बाहर निकल आये। एक जनसैलाब उमड़ आया था। इतने लोगों को एकसाथ इस सड़क पर मैंने कभी नहीं देखा था। ऐसा लग रहा था एक बड़ी क्रांति कि शुरुआत हो रही थी।
कुछ बुजुर्गो ने पोल के पास गए लोगों को मोबाइल पर सलाह दी कि एक रस्सी में पत्थर बाँध कर ऊपर फेंका जाए तो तारें अलग हो सकती हैं। गाँव के हर मसले पर लम्बी बहस करने वाले नौजवान आज उन बुजुर्गो की हाँ में हाँ मिलते नज़र आ रहे थे। अब लोगों ने लाइन मैन को कोसना शुरू कर दिया था। कुछ लोग घोड़े को कोस रहे थे। इतने तगड़े घोड़े तो हैं नहीं की पोल ही उखाड़ दें .फिर लोग बिजली वालों को बुरा भला कहने लगे। इतने नाज़ुक पोल गाड़े की घोडा ही हिला दे।
अँधेरा होते होते लोगों का आक्रोश बढ़ता गया। कुछ ने पंचायत प्रधान को बुलाने की बात कही। इस मसले पर गंभीर फैसला लिया जाए।सरकार और बिजली विभाग की ताना शाही नहीं चलेगी। एक दो ने तो विधायक का नंबर भी घुमा दिया। विधायक महोदय शिमला के माल रोड पर घूमते घूमते ही आश्वासन देने लगे। में सोचने लगा वाह रे घोड़े, क्या टक्कर मारी है, पूरी की पूरी जनता ही जाग गयी.इतना तो कोई समाज सेवी दस साल में भी नहीं कर पाता।
तभी शायद बुजुर्गो की सलाह काम आ गयी। रस्सी से तारें अलग हो गयी। बिजली लौट आई। लोग ख़ुशी ख़ुशी अपने घरों में लौट गए। क्रांति टल गयी।सड़क फिर से वीरान हो गयी।

Comments

  1. बहुत सुन्दर रिंकू . बेह्तरीन गद्य लिखा है.

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  2. ग्रामीण परिवेश व मानसिकता की सहज प्रस्तुति। सोच के दायरे कितने अगल हो सकते हैं यह पोस्ट प्रत्यक्ष प्रमाण है। जारी रखें।

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  3. शुक्रिया..तहेदिल से..आप लोगों की टिप्पणियां मेरे लिए बहुत मायने रखती हैं...

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  4. Phunchu Tashi
    diring khaas gappa sang chi toi....mael dhoto ghoda?.....hilne wala pole?....fuse ka udana.?...IPL match ka adhura rahna?...buzurgo ki baat manana?..... pathar ko rassi se bandh kar taar par marna? ya ...ant me sab kuchh theek hona?....
    Agar swanglo boliring di katha chesi suchang chhithro maja atigaka?
    ......par dilla ruthe toi!
    April 8 at 11:12am ·

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  5. Phunchu Tashi
    shungshi aanjang dang t toi bhai....chhou paathi toi....rhang?,bijliu pole?,fuse?bujurgatu paathi? kudrato ? kuttag mada ....taanla ruthe toi!
    April 8 at 1:48pm ·

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  6. R.k. Telangba
    कहानी अच्छी है, इस में असली नायक कोई इंसान नहीं बल्कि एक घोडा है.
    April 8 at 2:58pm ·

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  7. Arla Bhoot
    बिजिली अंजे थल ला हन्यार हिद तायांग सेईत माल रोडो दोतु ज़रूते मतोई ..... मानुखाआआ मानुखाआआ ....गलहाणि य्हुप्चिरिंग ला माल रोडो दोतिंग हाग थालोऊ !!!! ईझा सुताणांग न्याचि ल्होरेओ !!!!
    April 8 at 3:09pm ·

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  8. Prashant Prakash
    beautiful jeet ji
    April 8 at 3:17pm ·

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  9. Sandeep Shashni
    हा हा हा... पुराना जमानारिंग क्वातोरे छंग तुप्चे दोउ छंगिरिंग बंग्ज़ी , हेन्देग इचा पल बिजली इबिरंग साथै बिजिलियु दोतिंग कट कूट रंद्री... अरला भाई भी रहुकतुयी, दू ता न्यिगर ह्न्यार फूग टुंग बंग्ज़ी. केरे शुचंग ताः तेम्मा न्यधिन्यी काह !!
    April 8 at 4:04pm ·

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  10. Sham Lal
    kahani achhi hai boss...magar dukh is baat hai ki kranti hotey hotey reh gaya.......
    April 9 at 1:34pm ·

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  11. Padma Thinley
    Interesting..! kolang ki yaad aa gayi...
    April 9 at 2:14pm ·

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  12. Vinod Dogra
    आप सभी का शुक्रिया...अजय भाई..मेंने word verification हटा दिया है...टशी जी..ये एक छोटा सा वाकया था...इसमें कुछ खास ढूंढना या पाना अपने आप पर निर्भर करता है.....वैसे हम जीवन में छोटी छोटी चीजों से ही सीखते हैं....
    Sat at 6:21pm ·

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  13. आपका ब्लॉग अच्छा लगा। सहज...सच्चा!!

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